बुरहानपुर (इनफॉरमेशन वर्ल्ड)–जिले में केला उत्पादन और प्रसंस्करण की अपार संभावनाओं को देखते हुए इसे बनाना हब बनाने के लिये कार्ययोजना बनाई जायेगी।
आज बुरहानपुर में अनूठे बनाना फेस्टिवल-2024 का शुभारंभ हुआ। इसमें बड़ी संख्या में केला उत्पादक किसानों, विशेषज्ञों और निर्यातकों ने भाग लिया। आपको बता दे की बुरहानपुर जिले एवं आसपास के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में केले का उत्पादन होता है केले के उत्पादन में पानी प्रचुर मात्रा में उपयोग किया जाता है जिस वजह से बुरहानपुर जिला एवं आसपास के क्षेत्र का जलस्तर 800 से 900 फीट नीचे चला गया है इसी कारण इस क्षेत्र में सबमर्सिबल पंप बड़ी मात्रा में क्रय विक्रय किए जाते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रतिभागियों को दिये अपने संदेश में कहा कि बनाना फेस्टीवल के आयोजन से केले से निर्मित विभिन्न उत्पादों की मार्केटिंग, पैकेजिंग और प्रोसेसिंग की प्रक्रियाओं से आमजन को अवगत करवाने से लेकर इस उत्पाद की निर्यात वृद्धि की संभावनाएं बनेंगी। मुख्यमंत्री ने उत्सव में विविध गतिविधियों की सराहना की।
सांसद ज्ञानेश्वर पाटील ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मेक इन इंडिया, लोकल फॉर वोकल के तहत ‘‘एक जिला-एक उत्पाद” योजना की शुरूआत से आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में अनेक कदम बढाए है।
बुरहानपुर जिले ने राष्ट्रीय स्तर पर नया कीर्तिमान रचा सांसद श्री पाटील ने कहा कि ‘‘एक जिला-एक उत्पाद‘‘ में बुरहानपुर जिले ने राष्ट्रीय स्तर पर नया कीर्तिमान रचा है। केला फसल के साथ ही हल्दी को एक जिला एक उत्पाद में शामिल किया गया। महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी यह योजना रोजगार के नये अवसर देकर आर्थिक रुप से इस व्यवसाय से जुडी महिलाओ को सशक्त बना रही है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा 16 हजार हेक्टेयर में केला फसल का उत्पादन हो रहा है। तीन वर्ष पूर्व हमारे जिले में केला उपज से सिर्फ फल बेचे जाते थे। अब तने से रेशे तैयार कर विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि एक जिला एक उत्पाद में जिले ने स्पेशल मेंशन अवॉर्ड में प्रथम राष्ट्रीय पुरुस्कार हासिल कर बुरहानपुर जिले का नाम रोशन किया है।
विधायक एवं पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने कहा कि एक जिला-एक उत्पाद का उद्देश्य स्थानीय उत्पादों के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। जिले में केले के बाद सर्वाधिक उत्पादन वाली फसल हल्दी है। केले और हल्दी दोनों ही फसलों की प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की गतिविधियों से इन्हें उगाने वाले किसानों की आय में और वृद्धि होने की अपार संभावनाएं है।
विधायक सुश्री मंजू राजेन्द्र दादू ने कहा कि प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए निजी निवेश आमंत्रित करके स्थानीय लोगों को रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है। इसके लिए केले के फाइबर से टेक्सटॉइल व अन्य वस्तुओं के निर्माण की गतिविधियों का उत्पादन वाणिज्यिक स्तर पर करने की आवश्यकता है।
कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल ने कहा कि “बनाना” फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य एक जिला-एक उत्पाद अंतर्गत केले से निर्मित विभिन्न उत्पाद, उनकी मार्केटिंग, पैकेजिंग, प्रोसेसिंग जैसे अन्य प्रक्रियाओं से अवगत कराना है। बनाना फेस्टिवल में केले एवं हल्दी के प्रसंस्करण में तकनीक, अन्वेषण एवं ब्रिक्री पर जोर देना है। भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए, केले के रेशे से हस्त शिल्प उत्पाद, केला का रेशा-कपड़ा एवं विविध खाद्य उत्पादों के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
प्रदर्शनी का अवलोकन
अतिथियों ने बनाना फेस्टिवल में आयोजित केले के विभिन्न हस्त शिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा सराहना भी की। वहीं केले से बने व्यंजन को चखकर प्रसन्नता व्यक्त की।
बनाना फेस्टिवल में आजीविका केले से रेशे से निर्मित उत्पाद समूह की कहानी अपनी जुबानी के तहत गौरी स्वयं सहायता समूह शाहपुर उषा उदलकर बताती है कि, समूह की महिलाओं के माध्यम से केले के रेशे से बनाये जा रहे है।
वे बताती है कि, यूनिट में 6 मशीनों से प्रतिमाह 2500 किलोग्राम रेशा प्राप्त होता है। इस रेशे से दीप, झाडू, सौख्यम पेड सहित अन्य उत्पाद बनाये जा रहे है। वे कहती है कि 557 महिलायें आत्मनिर्भर बन रही है। इस कार्य से दीदियों को 4 से 5 हजार प्रतिमाह कमा लेती है।
फेस्टिवल की श्रृंखला में अतिथियों को फील्ड विजिट भी कराई गई। सुखपुरी स्थित बनाना प्रोसेसिंग यूनिट एवं सामुदायिक भवन दर्यापुर में आयोजित केले के रेशे से निर्मित उत्पादों के संबंध में दिये जा रहे प्रशिक्षण अवलोकन करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की।